
हरिद्वार(अनिल शीर्षवाल)। मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोण्डे के द्वारा हरिद्वार जिले में मनरेगा के कार्यों की कराई जा रही जांच के संबंध में जैसे-जैसे रिपोर्ट सामने आ रही है उसी के तहत कार्रवाई हो रही है। शुरुआती में कई ग्राम विकास अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई थी और अब दो ग्राम विकास अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
जिला विकास अधिकारी (डीडीओ), हरिद्वार वेदप्रकाश ने मनरेगा योजना के तहत अनियमितताओं के आरोप में ग्राम विकास अधिकारी रविन्द्र सैनी और प्रमोद सैनी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उनकी तत्कालीन ग्राम पंचायतों, ग्राम गढ़ और आन्नेकी, विकास खंड बहादराबाद में की गई जांच के बाद हुई है, जिसमें वे दोषी पाए गए हैं।
निलंबन अवधि के दौरान, ये दोनों ग्राम विकास अधिकारी अन्य विकास खंडों से संबद्ध रहेंगे। इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताओं की पुनरावृत्ति पाई जाती है, तो अन्य ग्राम विकास अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह कदम मनरेगा योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। प्रशासन भ्रष्टाचार के प्रति जीरो-टॉलरेंस की नीति पर कायम है और सभी अधिकारियों को नियमों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया गया है। वही जानकारी मिली है कि अन्य कहीं ग्राम विकास अधिकारियों के द्वारा मनरेगा के कार्यों में बरती गई अनीता की भी जांच चल रही है। मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार आकांक्षा कोण्डे पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि मनरेगा में किसी भी तरह की अनियमिता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।




