
हरिद्वार(अनिल शीर्षवाल)।आरोग्य भारती उत्तराखंड एवं उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आज गुरुकुल परिसर स्थित चरक प्रेक्षागृह में “स्वस्थ व्यक्ति – स्वस्थ परिवार – स्वस्थ ग्राम – स्वस्थ राष्ट्र” विषय पर एकदिवसीय स्वास्थ्य संगोष्ठी एवं कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग का भव्य आयोजन हुआ। इस आयोजन में प्रदेशभर से आए आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सकों, विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षकों, पीजी शोधार्थियों, बीएएमएस छात्रों एवं कार्यालय स्टाफ ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

उद्घाटन सत्र से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र की शुरुआत अतिथि आगमन, पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। मंगलाचरण के बाद आरोग्य भारती परिवार एवं अभ्यास वर्ग का परिचय डॉ. विकास सूर्यवंशी (संगठन सचिव) ने दिया। उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी (कुलपति, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय) रहे। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ राकेश पंडित राष्ट्रीय अध्यक्ष आरोग्य भारती रहे। सत्र का संचालन प्रोफेसर संजय त्रिपाठी (महासचिव, आरोग्य भारती उत्तराखंड) एवं संयोजक प्रोफेसर बालकृष्ण पवार ने किया।तथा विशेष अतिथि डॉ.ओ पी सिंह (परीक्षा नियंत्रक, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय), प्रोफेसर अवधेश मिश्रा कार्यकारी अध्यक्ष आरोग्य भारती उत्तराखंड, डा०राज तायल क्षेत्रीय संयोजक आरोग्य भारती, मंच पर उपस्थित रहे। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश पंडित ने कहा की संपूर्ण स्वास्थ्य को आयुर्वेदिक जीवन पद्धति, आदर्श दिनचर्या ऋतुचार्य का पालन, स्वस्थ वृत्त, अच्छी सोच, सकारात्मक चिंतन द्वारा पाया जा सकता है। उन्होंने कहा रोक से दूर रहने से स्वस्थ और स्वास्थ्य का नेक्स्ट स्टेप वैलनेस है। आरोग्य भारती इलनेस से वैलनेस की ओर ले जाने में जनसामान्य को प्रेरणा प्रदान करने का कार्य करतीहै। स्वस्थ मन होने पर ही व्यक्ति संपूर्ण रूप से स्वस्थ रह सकता है अतः मानसिक सोच और समाज के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी का भाव स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने में मदद करता है। कुलपति प्रोफेसर डॉ त्रिपाठी ने कहा कोरोना कल के बाद सारी दुनिया इस बात पर एकमत है कि आदर्श जीवन शैली को अपनाना चाहिए। उत्तम स्वास्थ्य के लिए आहार, विहार, निद्रा एवं स्वस्थ जीवन शैली की आवश्यकता है। उन्होंने कहा आयुर्वेदिक जीवन पद्धति को ना अपने के कारण ही आज डायबिटीज मोटापा हृदय रोग मानसिक विकार, तनाव आदि रोगों समाज में बढ़ रहे हैं इनको आरोग्य चिंतन एवं आयुर्वेद के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।इस अवसर पर सभी वक्ताओं ने स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद आधारित जीवनशैली पर अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. उत्तम शर्मा ने की। इस सत्र में व्यसन मुक्ति पर डॉ. गरिमा, सुपोषण पर डॉ. अवधेश मिश्रा, स्वस्थ्य जीवन शैली पर डा०राज तायल तथा कुटुंब प्रबोधन पर डॉ. राशि कंडवाल ने प्रभावी व्याख्यान दिए। सत्र का संचालन प्रो. बालकृष्ण पवार द्वारा किया गया। तृतीय सत्र अध्यक्षता डॉ. विनोद कुमार मित्तल ने की। मानसिक स्वास्थ्य विषय पर डॉ. डी. के. श्रीवास्तव, तथा स्वस्थ जीवन विषय पर डॉ. बृजेन्द्र सिंह (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, शरीर रचना विभाग, एम्स) ने मार्गदर्शन दिया। सत्र का संचालन डॉ. एस.पी. सिंह द्वारा किया गया। चतुर्थ एवं समापन सत्र का विषय योजना, जिज्ञासा समाधान एवं पथ्य रहा। राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राकेश पंडित ने कार्यकर्ताओं को आरोग्य के विभिन्न आयामों से परिचित कराया, उनसे उनके क्षेत्र में किया जा रहे कार्यों की जानकारी ली तथा उनके प्रश्न और जिज्ञासाओं का समाधान किया। अंत में डॉ. संजय कुमार त्रिपाठी ने शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन किया।

कार्यक्रम के सफल आयोजन में प्रोफेसर संजय त्रिपाठी (महासचिव, आरोग्य भारती उत्तराखंड), प्रोफेसर बालकृष्ण पवार (संयोजक संगोष्ठी एवं अभ्यास वर्ग), डॉ. विकास सूर्यवंशी (संगठन सचिव, आरोग्य भारती), डॉ. एस. पी. सिंह, डॉ. देवेश शुक्ला, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हरिश्चंद्र गुप्ता, राहुल तिवारी, डॉ. मयंक भटकोटी, डाराजीव कुरेले, डॉ. गरिमा, डॉ. सौरभ यादव, डॉ शशि कंडवाल, आदि का सक्रिय योगदान रहा। पूरे दिन चले इस स्वास्थ्य विषयक संगोष्ठी एवं अभ्यास वर्ग ने यह संदेश दिया कि स्वास्थ्य संरक्षण केवल औषधियों से नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक जीवनशैली, व्यसन मुक्ति, उचित पोषण, मानसिक संतुलन और पारिवारिक संस्कारों के माध्यम से ही संभव है।
यह संगोष्ठी न केवल चिकित्सा जगत के लिए, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणादायी सिद्ध हुई।


