
धनौरी(श्रवण गिरी)।गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर के कृषि विज्ञान केंद्र, धनौरी, हरिद्वार तथा बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान (एपीडा), मोदीपुरम, मेरठ, उत्तर प्रदेश, के तत्वाधान मे “बासमती धान उत्पादन हेतु सुरक्षित एवं विवेकपूर्ण कीटनाशी प्रयोग एवं उत्तम कृषि पद्धतियां” विषय पर एक दिवसीय कौशल विकास कार्यक्रम किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुये डॉ० एन पी शर्मा वैज्ञानिक बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान, मोदीपुरम, मेरठ, उत्तर प्रदेश ने बासमती धान उत्पादन हेतु सुरक्षित एक विवेकपूर्ण कीटनाधियों का प्रयोग के बारे मे विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने बताया कि ६०.०७ लाख मिट्रिक टन चावल का निर्यात हर वर्ष होता है।

केंद्र के प्रभारी डॉ पुरुषोत्तम कुमार ने किसानो का स्वागत करते हुये बासमती धान की उन्नत प्रजातियों के बारे मे किसानो को समझाया। साथ ही यह भी बताया कि देहरादून की बासमती विश्वभर में प्रसिद्ध है।
केंद्र के सहनिदेशक डॉ योगेंद्र पाल सैनी ने बासमती धान मे रासायनिक उर्वरको के कम प्रयोग तथा विभिन्न जैविक खादो के प्रयोग की विधियां समझायी।
केंद्र के डॉ विनोद कुमार ने बासमती धान मे लगने वाले विभिन्न रोग एवं कीट की पहचान बताते हुये उनके उपचार की विधियां बताई।
केंद्र के पशु वैज्ञानिक डॉ नील कांत ने बासमती धान को प्रकृतिक खेती से जोड़ते हुये, उगाने का आह्वान किया।
केंद्र के अभियंता उमेश सक्सेना ने बासमती धान मे कृषि यंत्रो को प्रयोग कर कम लागत मे अधिक उत्पादन लेने की विधियां बताई। जिला पादप रक्षा अधिकारी आर के दौहरे ने विभाग की गतिविधियों के बारे में किसानों को अवगत कराया।
कार्यक्रम का संचालन केंद्र की ग्रह वैज्ञानिक अमरेश सिरोही ने किया तथा पंजीकरण डॉ सरिता वैश्य के द्वारा कराया गया।
इस जागरूकता कार्यक्रम मे कृषि विभाग के योगेंद्र राठी ने भी आपने विचार रखे, तथा जनपद के प्रगतिशील किसान,सुशील, नसीब सिंह, महिपाल, देशराम, सुभाष, सतेंद्र, सुनील, अजय, प्रदीप, आदि साहित लगभग २५० किसानो ने प्रतिभाग किया। इसी मौक़े पर हरिओम स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कृषि विज्ञान के छात्र छात्राओं ने भी ज्ञानवर्धन हेतु प्रतिभाग किया।

