
हरिद्वार(विकास सैनी)। एक दौर था जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरिद्वार तक जीवा गैंग का नाम सुनते ही बड़े-बड़े कारोबारी और प्रॉपर्टी डीलर सहम जाते थे। रंगदारी, हत्याएं और जमीनों पर कब्जे इस गैंग का पहचान बन गए थे। मगर वक्त का पहिया घूम चुका है। 2023 में लखनऊ कोर्ट में गैंग के सरगना संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा के मारे जाने और हाल ही में उसके शूटर शाहरुख पठान के एनकाउंटर के बाद अब इस गैंग का लगभग सफाया हो गया है। हरिद्वार पुलिस ने भी अपने रिकॉर्ड से इस कुख्यात गिरोह का नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
दहशत का इतिहास: रंगदारी से हत्याओं तक
जीवा गैंग की दहशत हरिद्वार जनपद में लंबे समय तक कायम रही। 2017 का मामला आज भी लोगों को याद है जब प्रॉपर्टी डीलर सुभाष सैनी की हत्या करने आए शूटरों ने गलतफहमी में कंबल कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी को गोलियों से भून डाला था। इससे पहले भी इस गैंग का खूनी खेल कई बार सामने आ चुका था।साल 2000 में कनखल क्षेत्र में एक व्यक्ति की हत्या। साल 2004 में रानीपुर क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट कारोबारी की हत्या में नाम आया सामने। साल 2007 में शहर कोतवाली क्षेत्र में ट्रैवल्स कारोबारी की हत्या कर दहशत फैलाई। इन घटनाओं के बाद से बड़े कारोबारी गैंग के खौफ में रहने लगे। जीवा अपने गुर्गों के जरिये हरिद्वार और आसपास रंगदारी वसूलने, प्रॉपर्टी डील में दबदबा बनाने और कब्जे के खेल में लगा रहा।
गैंग का पतन: कोर्ट में मारा गया सरगना
सात जून 2023 को जीवा को लखनऊ कोर्ट में पेशी पर ले जाया गया था। यहीं पर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद गैंग की कमान उसके करीबी शूटर शाहरुख पठान ने संभाली। लेकिन 13 जुलाई 2023 की रात मुजफ्फरनगर में यूपी एसटीएफ ने मुठभेड़ में शाहरुख पठान को भी ढेर कर दिया। यहीं से जीवा गैंग के खात्मे की कहानी शुरू हो गई।
अब खत्म हो रही है फाइलों से मौजूदगी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक हरिद्वार में रजिस्टर्ड इस गैंग का अब कोई सक्रिय सदस्य नहीं बचा है। पिछले दिनों पुलिस ने गैंग से संबंधित रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय भेज दी है। सत्यापन और औपचारिक प्रक्रिया पूरी होते ही इस कुख्यात गैंग का नाम पुलिस रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।
फिल्मी कहानी से कम नहीं जीवा का अपराध जगत का सफर
कुख्यात संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का अपराध जगत में सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा। एक समय पर जीवा एक प्राइवेट डॉक्टर का कंपाउंडर था। साधारण परिवार से आने वाले जीवा की जिंदगी में मोड़ तब आया जब वह छोटे-छोटे झगड़ों और विवादों में शामिल होने लगा। जल्द ही उसका सामना बड़े अपराधियों से हुआ और वही उसकी अपराध की दुनिया में एंट्री का कारण बना।
90 के दशक में जीवा ने पश्चिमी यूपी में रंगदारी वसूलने और गैंगवार के खेल में कदम रखा। धीरे-धीरे उसने अपना गैंग खड़ा किया और खुद को ब्रजेश सिंह और मुन्ना बजरंगी जैसे बड़े माफियाओं के बीच स्थापित कर लिया। पुलिस रिकॉर्ड में उसका नाम हत्या, रंगदारी, जानलेवा हमला और जमीन कब्जाने जैसे गंभीर अपराधों में दर्ज होने लगा।
हरिद्वार, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर तक जीवा की दहशत फैली। कारोबारी और प्रॉपर्टी डीलर उसके नाम से खौफ खाते थे। 2000 से 2017 के बीच कई हत्याएं उसके गैंग ने अंजाम दीं, जिनमें हरिद्वार के कंबल कारोबारी अमित दीक्षित की हत्या भी शामिल है। लेकिन 7 जून 2023 को लखनऊ कोर्ट में पेशी के दौरान उसे गोली मारकर खत्म कर दिया गया। इसके बाद शूटर शाहरुख पठान के एनकाउंटर के साथ जीवा गैंग की कहानी भी खत्म हो गई।