
विशेष साक्षात्कार-वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर सैनी के द्वारा, उत्तराखण्ड परिकल्पना समाचार पत्र एवं न्यूज पोर्टल पर
विश्व हृदय दिवस 2025 : “धड़कन को न छोड़ें”
वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर सिंह की आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. राजीव कुरेले से विशेष बातचीत,
हृदय रोग और जीवनशैली सुधार पर आयुर्वेदिक दृष्टि से विशेषज्ञ माने जाने वाले डॉ. राजीव कुरेले वर्तमान में आयुर्वेद विशेषज्ञ एवं एसोसिएट प्रोफेसर, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हररावाला, देहरादून के पद पर कार्यरत हैं।
आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में दो दशक से अधिक का अनुभव रखने वाले डॉ. कुरेले ने हज़ारों मरीजों को प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक उपचार से नई दिशा दी है। उनका विशेष शोध क्षेत्र हृदय रोग, जीवनशैली विकार और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का प्रभाव है।
सरल भाषा में आयुर्वेद को आम लोगों तक पहुँचाना और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ जोड़ना उनका प्रमुख लक्ष्य है। विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों और कार्यशालाओं में वे आयुर्वेद की महत्ता पर व्याख्यान देते रहे हैं।
समाज में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वे नियमित रूप से अख़बारों, रेडियो और स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से लोगों से जुड़ते हैं। उनका मानना है कि स्वस्थ हृदय ही स्वस्थ जीवन का आधार है, और संतुलित जीवनशैली ही दिल की सबसे बड़ी दवा है।
वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर सिंह से बातचीत में डॉ. राजीव कुरेले ने साफ़ कहा कि विश्व हृदय दिवस कोई औपचारिक दिन नहीं, बल्कि जीवनभर का संकल्प होना चाहिए। आयुर्वेद हमें सिखाता है कि संतुलित जीवन, सात्त्विक आहार, योग और सकारात्मक सोच ही स्वस्थ दिल की असली दवा हैं।
प्रश्न 1 – डॉ. साहब, इस साल विश्व हृदय दिवस की थीम “धड़कन को न छोड़ें” है। आप इस संदेश को कैसे समझते हैं?
उत्तर: यह थीम हमें दिल की अनदेखी न करने की चेतावनी देती है। हर धड़कन जीवन का प्रतीक है। जब तक दिल धड़कता है, जीवन चलता है। इसलिए यह केवल चिकित्सकीय संदेश नहीं बल्कि जीवन दर्शन है – अपने दिल को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से सुरक्षित रखना।
प्रश्न 2 – आज के समय में हृदय रोगों की समस्या इतनी तेज़ी से क्यों बढ़ रही है?
उत्तर: इसका प्रमुख कारण है असंतुलित जीवनशैली। लोग समय पर भोजन नहीं करते, जंक फूड अधिक खाते हैं, शारीरिक गतिविधि घटती जा रही है। साथ ही तनाव, धूम्रपान, शराब और नींद की कमी ने समस्या को और बढ़ा दिया है। आयुर्वेद कहता है – अतियोग, हीनयोग और मिथ्या योग यानी अति प्रयोग, कमी और गलत प्रयोग ही रोगों की जड़ हैं।
प्रश्न 3 – आयुर्वेद के अनुसार हृदय को शरीर का कौन-सा महत्व प्राप्त है?
उत्तर: आयुर्वेद में हृदय को प्राण और चित्त का आधार माना गया है। चरक संहिता में कहा गया है कि “हृदयं मनसः स्थानम्।” यानी दिल केवल रक्त पंप करने का अंग नहीं बल्कि भावनाओं और चेतना का भी केंद्र है। इसलिए हृदय स्वास्थ्य का अर्थ है – शरीर, मन और आत्मा तीनों का संतुलन।
प्रश्न 4 – वर्तमान पीढ़ी सबसे बड़ी कौन-सी गलती कर रही है जिससे दिल पर असर पड़ रहा है?
उत्तर: सबसे बड़ी गलती है “संकेतों को अनदेखा करना।” हल्की सी थकान, सीने में जलन, सांस फूलना – इन्हें लोग मामूली समझ लेते हैं। जबकि ये शुरुआती चेतावनी हैं। आयुर्वेद कहता है – लक्षणं कारणसूचकं भवति यानी लक्षण कारण का संकेत हैं, इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 5 – तनाव दिल पर कैसे असर डालता है?
उत्तर: तनाव सीधा मन और प्राणवायु को प्रभावित करता है। इससे रक्तचाप बढ़ता है, धड़कन असंतुलित होती है। आयुर्वेद में मन और हृदय का गहरा संबंध बताया गया है। यदि मन अशांत है तो हृदय भी असंतुलित हो जाता है। ध्यान, योग और प्राणायाम से मन शांत होता है और दिल स्वस्थ रहता है।
प्रश्न 6 – क्या भोजन की आदतें भी दिल की बीमारियों का कारण बनती हैं?
उत्तर: बिल्कुल। भारी, तैलीय, बासी और जंक फूड दिल की धमनियों को बंद करते हैं। आयुर्वेद सात्त्विक आहार की सलाह देता है – जैसे फल, सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज, मूंग दाल, अंकुरित अनाज, छाछ और घी। ये भोजन रक्त को शुद्ध रखते हैं और धमनियों को साफ रखते हैं।
प्रश्न 7 – दिल को मजबूत करने के लिए कौन-सी आयुर्वेदिक औषधियाँ उपयोगी हैं?
उत्तर:
- अर्जुन की छाल – हृदय के लिए रामबाण मानी जाती है।
- अश्वगंधा – तनाव कम करके हृदय को शक्ति देती है।
- शंखपुष्पी और ब्राह्मी – मानसिक तनाव कम करती हैं।
- लहसुन – रक्तचाप नियंत्रित करता है और धमनियों को साफ करता है।
- त्रिफला – शरीर से विषैले तत्व निकालती है।
लेकिन इनका सेवन आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए।
प्रश्न 8 – क्या योग और प्राणायाम सचमुच दिल को स्वस्थ रखते हैं?
उत्तर: हाँ, योग और प्राणायाम दिल के लिए वरदान हैं।
अनुलोम-विलोम रक्त प्रवाह को संतुलित करता है।
भ्रामरी तनाव और चिंता घटाती है।
कपालभाति धमनियों को साफ रखने में मदद करता है।
सूर्य नमस्कार सम्पूर्ण शरीर को सक्रिय रखता है।
प्रश्न 9 – क्या केवल दवा और योग से ही दिल की सुरक्षा हो सकती है?
उत्तर: नहीं, जीवनशैली सुधारना सबसे ज़रूरी है। नियमित दिनचर्या, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद, तनाव का नियंत्रण और सकारात्मक सोच – ये सभी दिल को सुरक्षित रखते हैं। आयुर्वेद कहता है – स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं यानी स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा सबसे पहली चिकित्सा है।
प्रश्न 10 – आधुनिक युवाओं के लिए आपका क्या सुझाव है?
उत्तर: युवाओं को सबसे पहले मोबाइल और स्क्रीन टाइम कम करना चाहिए। देर रात तक जागना बंद करें। फास्ट फूड की जगह ताज़ा भोजन लें। हर दिन कम से कम 30 मिनट टहलें या योग करें। और सबसे अहम – दिल के संकेतों को अनदेखा न करें।
प्रश्न 11 – हृदय रोगियों के लिए कौन-सी विशेष सावधानियाँ आवश्यक हैं?
उत्तर: नमक और चीनी का सेवन कम करें।
धूम्रपान और शराब से पूरी तरह बचें।
डॉक्टर द्वारा बताई दवाइयाँ नियमित लें।
हल्का व्यायाम करें, लेकिन अत्यधिक मेहनत न करें।
मानसिक शांति बनाए रखें।
प्रश्न 12 – महिलाएँ और दिल की बीमारियाँ, इस पर आपका क्या कहना है?
उत्तर: पहले दिल की बीमारियाँ पुरुषों में अधिक मानी जाती थीं, लेकिन आज महिलाओं में भी ये तेजी से बढ़ रही हैं। तनाव, हार्मोनल बदलाव और जीवनशैली इसकी वजह हैं। महिलाओं को योग, संतुलित आहार और नियमित स्वास्थ्य जांच पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न 13 – क्या घरेलू उपाय भी दिल को स्वस्थ रखने में सहायक हो सकते हैं?
उत्तर: हाँ, कुछ सरल उपाय बहुत प्रभावी हैं –
सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना।
लहसुन और अदरक का नियमित सेवन।
आंवला का रस या मुरब्बा।
हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ और मौसमी फल।
ये सब दिल की सेहत को मजबूत करते हैं।
प्रश्न 14 – इस साल की थीम धड़कन को न छोड़ें को आम लोग व्यवहारिक रूप से कैसे अपना सकते हैं?
उत्तर: रोज़ाना पाँच छोटे संकल्प करें –
- समय पर और संतुलित भोजन।
- रोज़ाना 30 मिनट पैदल चलना।
- तनाव कम करने के लिए ध्यान/प्राणायाम।
- परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना।
- पर्याप्त नींद लेना।
अगर ये पाँच आदतें जीवन में शामिल कर ली जाएँ तो दिल स्वस्थ रहेगा।
प्रश्न 15 – अंत में हमारे पाठकों के लिए आपका संक्षिप्त संदेश क्या होगा?
उत्तर: मेरा संदेश यही है – “दिल को मत भूलिए, धड़कन को मत छोड़िए।” आयुर्वेद कहता है – “हृदयं सर्वस्य आधारम्।” यानी दिल जीवन का आधार है। इसे सुरक्षित रखना हमारी व्यक्तिगत ही नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। स्वस्थ दिल ही खुशहाल जीवन की कुंजी है।



