
रुड़की(संदीप तोमर)। निश्चित ही अनीश अहमद ने जमीनी धोखाधड़ी के मामले में माननीय न्यायालय से जमानत मंजूर होने के बाद जेल से बाहर आकर सड़कों पर जो हुड़दंग मचाया या मचवाया,वह सभ्य समाज में कोई भी सही नहीं कह सकता। उसके इस दुस्साहसिक कृत्य को हरिद्वार पुलिस ने बेहद गंभीरता से लेते हुए उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और पुलिस का दावा है कि वह फरार हो गया है।
अनीश के कृत्य की उसे संबंधित धारा अनुसार सजा जरूर मिल जाएगी और जिस हिसाब से एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल ने सख्त मिजाजी दिखाई है,उसे देखते हुए साफ संकेत मिल रहे हैं कि अनीश अब पहले की तरह इस घटना के बाद उस खनक वाले अंदाज में तो नहीं दिखेगा,जैसे वह ऐसे ही मिलते-जुलते कुछ पुराने घटनाक्रमों के बाद अक्सर नजर आ जाता था। ध्यान रहे कि यह कोई पहला मौका नहीं है,जब अनीश ने इस तरह समाज के बीच हनक दिखाई है। 13 माह पूर्व जमीनी धोखाधड़ी के मामले में जेल जाने से पूर्व भी वह इस तरह की कई रंगबाजी दिखाने की हरकतें कर चुका था। गाहे-बगाहे कहीं ब्लैक कलर की स्कॉर्पियो तेजी व लापरवाही से चला कर लोगों के लिए मुसीबत बन जाने की घटना हो या फिर जानलेवा हमले तक का मुकदमा। अनीश के खिलाफ मुकदमें तो दर्ज हुए पर उसके हौंसले कम न हुए। लेकिन इसके उलट इस जानकारी से आप हैरान होंगे कि स्कॉर्पियो गाड़ी में घूमने वाला और जेल से बाहर आने पर अपना हुड़दंग और हूटर से भरा स्वागत करवाने वाला अनीश कुछ वर्ष पूर्व सरकारी ऋण की अदायगी न होने के एक मामले को लेकर रुड़की तहसील की हवालात में बकायेदार के रूप में भी बंदी रहा था। इसे देखते हुए सवाल ये कि जब एक तरफ वह अपने आपको रईस साबित करता है तो इस तरह बकायेदारी में बंद क्यों रहा था? इस प्रकरण की भी जांच जरूरी है।
गुलदस्तां वाले युवा नेता कोई हरकत कर दें तो जिस नेता के साथ फोटो खिंचवाया,क्या वह जिम्मेदार?
अब आते हैं उस बात और चर्चा पर जिसमें अनीश से कहीं आगे इस प्रकरण को एक विधायक से इसलिए जोड़ा जा रहा है,क्योंकि वह कभी इस विधायक का प्रतिनिधि रहा है और जेल से बाहर आकर हुड़दंग मचवाने वाली घटना के दौरान भी वह गाड़ी पर ऐसी ही प्लेट लगाए हुए था। अनीश 13 माह से जेल में था,उस गाड़ी को उसके भाई या अन्य परिजन इस्तेमाल कर रहे होंगे तो क्या तब भी उस गाड़ी पर यह प्लेट लगी थी। यदि लगी थी तो जब यह सूचना पुख्ता तौर पर सामने हो कि जिस विधायक की बात की जा रही है उसने अनीश के जेल जाने से काफी समय पूर्व न सिर्फ अनीश बल्कि अपने सभी प्रतिनिधियों को हटा दिया था,तो इस सूचना के आलोक में अनीश के जेल में रहते बाहर विधायक प्रतिनिधि की फर्जी प्लेट लगी गाड़ी को देखना या रोकना-टोकना किसका काम था?
सिर्फ राजनीति के तहत घसीटा जा रहा विधायक का नाम,वर्षों पूर्व हटा दिए थे सभी प्रतिनिधि!
पूरे प्रकरण के दृष्टिगत इस तथ्य को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता कि अनीश 13 माह से जेल में बंद था तो क्या जिस विधायक की बात की जा रही है,वह यदि उसे इतना ही चाहते थे तो उसकी जमानत के लिए किसी बड़े वकील को हायर करने के रूप में उसके लिए मजबूत पैरवी नहीं कर सकते थे?
दरअसल इस सबके पीछे कहीं न कहीं राजनीतिक गंध ही महसूस होती है। मान लीजिए अनीश पद से न हटाया गया होता तो क्या उसके किसी भी कृत्य के लिए विधायक ही जिम्मेदार होगा। यदि वह पद पर रहते हरकतें कर रहा था तो क्या विधायक ने उसे पद से नहीं हटाया?क्या विधायक,”प्रतिनिधि” नामक इस पद की बला से इतने परेशान नहीं हुए कि उन्होंने अनीश के साथ ही जिनका कोई कसूर नहीं था,उन प्रतिनिधियों की भी छुट्टी कर दी थी और तब से आज तक किसी को प्रतिनिधि न बनाए जाने की कसम खाए बैठे हैं। वैसे जानकारी के लिए बता दूं कि संवैधानिक तौर पर यूं प्रतिनिधि का कोई पद होता ही नहीं। लेकिन अपने-अपने राजनीतिक समीकरण साधने को अधिकांश पद वाले नेता प्रतिनिधि बनाते हैं। अब पद संवैधानिक भले न हो पर किसी का कोई प्रतिनिधि कुछ हरकत कर दे तो राजनीति सीधा पद वाले को जनता के बीच घसीट लेगी,फिर अनीश तो जैसा पहले बताया कि प्रतिनिधि पद पर था ही नहीं। इसे यूं भी समझ सकते हैं कि अक्सर गुलदस्तां देकर बड़े पद वाले नेताओं से शिष्टाचार भेंट करने वाले युवा नेता कोई हरकत कर दें तो लोग कहने लगे कि ये तो उस नेता का खास आदमी था। मसलन कुछ ही समय पूर्व खुद के विवाह समारोह में हर्ष फायरिंग में पिता समेत फंसे एक युवा नेता के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तब चैक किया था तो गली के नेता से लेकर प्रदेश और देश के नेताओं तक के साथ उसके फोटो थे तो क्या इन नेताओं ने उसे कहा था कि जा युवा नेता अपनी शादी में हर्ष फायरिंग कर?या फिर कोई फोटो वाला नेता उसे मुकदमे से बचाने आया?
किसी और विधायक के प्रतिनिधि के रूप में तो पद नहीं संभाल लिया था अनीश ने?
तो सीधी सी बात है कि कथित रूप से इस मामले में विधायक का नाम राजनीतिक रूप से घसीट कर जबरन तूल दिए जाने के प्रयास हो रहे हैं। जहां तक अनीश की बात है तो उसे खुद समझ लेना चाहिए कि इन दिनों हरिद्वार पुलिस,कप्तान प्रमेंद्र डोबाल के नेतृत्व में फुल फॉर्म में है और रोज एक एक्स्ट्रा वर्क के तौर पर उसके जैसों की हनक की खनक उतारने का काम भी कर रही है। इसकी शुरुवात उसके खिलाफ जेल से बाहर आने के बाद दर्ज हुए मुकदमें से हो चुकी है। हां,ऑपरेशन लगाम शायद इसी का नाम है। अंत में कुछ घनघोर प्यार करने वाले लोग सवाल उठाए कि विधायक का नाम तो बताया नहीं,तो भैया न तो अनीश की गाड़ी पर विधायक का नाम लिखा था और न ही पुलिस ने प्रेस नोट में बताया,बस कथित प्रतिनिधि शब्द इस्तेमाल हुआ है। वैसे कोई नाम देना इसलिए भी गलत है क्योंकि आप जिसके नाम की उम्मीद कर रहे हों,वास्तव में क्या पता उससे अलग किसी और विधायक ने उसे अपना प्रतिनिधि बना दिया हो। फिर विधायक सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं देश के हर राज्य में हैं!