
हरिद्वार(बसंत चौहान)।एक कावड़िया अपने पिता को लेकर हरिद्वार से कांवड़ यात्रा शुरू करके दिल्ली की ओर रवाना हो गया है। यह कांवड़ यात्रा हर वर्ष सावन के महीने में होती है, जिसमें भक्त हरिद्वार से गंगाजल भरकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।उत्तराखण्ड परिकल्पना से बातचीत में कावड़िए इन्द्र प्रस्थ कालोनी दिल्ली निवासी संजय शर्मा ने बताया कि वह पहले भी हरिद्वार से जल भरकर लेकर गए है।वह दुबई में जॉब करते है।इस संजय शर्मा हरिद्वार से 50 लीटर गंगा जल के साथ अपने पिता मुंशी शर्मा को कावड़ में लेकर जा रहा है।मूल रूप से बिहार के शिवान जिले के रहने वाले मुंशी शर्मा कहते है।कि मेरे बेटे कि इच्छा थी कि वह कावड़ में एक तरफ गंगा जल ओर एक तरफ मुझे लेकर जाए।शिव भक्त संजय शर्मा ने बताया कि वह सोमवार को हर कि पौड़ी से गंगा जल भरकर ओर अपने पिता जी को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए है।वह धीरे धीरे कावड़ के नियमों का पालन करते हुए 21 जुलाई तक दिल्ली पहुंच जाएंगे।

हरिद्वार कांवड़ यात्रा का एक प्रमुख केंद्र है, जहां से बड़ी संख्या में भक्त गंगाजल भरकर दिल्ली,हरियाणा,पंजाब, उतर प्रदेश और अन्य शहरों की ओर प्रस्थान करते हैं। यह यात्रा, विशेष रूप से दिल्ली की ओर, एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों कांवड़िये भाग लेते हैं।
कांवड़ यात्रा का महत्व:
कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। यह माना जाता है कि इस यात्रा को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कांवड़ यात्रा एक कठिन यात्रा है, जिसमें कांवड़ियों को पैदल चलना होता है, और कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
श्रवण कुमार की कथा:
कांवड़ यात्रा की शुरुआत के बारे में एक प्रसिद्ध कथा श्रवण कुमार से जुड़ी है। कहा जाता है कि श्रवण कुमार अपने माता-पिता को तीर्थयात्रा पर ले जा रहे थे, और उन्होंने उन्हें कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार से लाया था। वापसी में, उन्होंने गंगाजल भी लिया, और इसे ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत माना जाता है।






