
रुड़की/मंगलौर(संदीप तोमर)। आम विधानसभा चुनाव में अभी लगभग डेढ़ वर्ष का समय शेष रहते मंगलौर विधानसभा के विगत उपचुनाव में महज कुछ सौ वोटों के मामूली अंतर से चुनाव में पराजित हुए भाजपा के दिग्गज नेता और पुनः मंगलौर सीट से पार्टी टिकट के मजबूत दावेदार करतार सिंह भड़ाना की इस सीट पर आम चुनाव के लिए कसरत तेज हो गई है। कुछ ही समय पूर्व विशाल तिरंगा शौर्य यात्रा के जरिए अपनी जनता में पैठ साबित करने का प्रयास करने के बाद आज उनके संयोजन में हरिद्वार जनपद के सबसे विशाल गांव लिब्बरहेड़ी के समीप मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भव्य स्वागत एवं सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यूं यह कार्यक्रम प्रदेश सरकार के मुखिया के तौर पर पुष्कर सिंह धामी द्वारा यूसीसी,नकल विरोधी कानून,भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस समेत विभिन्न उपलब्धियों को लेकर सीएम के सम्मान के रूप में आयोजित किया जा रहा है,लेकिन चूंकि कार्यक्रम किसान बाहुल्य क्षेत्र में हो रहा है तो इसे किसान आभार रैली नाम दिया गया है। ऐसे में बतौर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कामकाज से इस क्षेत्र की जनता संतुष्टि के मामले में फिफ्टी-फिफ्टी वाले हालात में दिखती है,लेकिन सबसे बड़ा सवाल इस कार्यक्रम के संयोजक और यहां से(मंगलौर)भाजपा टिकट पर आम चुनाव की तैयारी कर रहे करतार सिंह भड़ाना के कामकाज से लोगों की संतुष्टि व उनसे आम जन के जुड़ाव को लेकर है।
सवाल उठ सकता है कि करतार सिंह भड़ाना अभी किसी पद पर नहीं हैं तो उनके कामकाज से लोगों की संतुष्टि को लेकर सवाल क्यों? दरअसल इसका मुख्य कारण करतार सिंह भड़ाना का राजनीतिक कद है। वह कोई साधारण किरदार वाले नेता नहीं हैं। बिना किसी पद पर रहते भी उन्हें जनता के काम कराने में सक्षम माना जाता है। भाजपा में बड़े स्तर पर उनके संबंध सार्वजनिक हैं,इधर जहां वह खुद कहते आए हैं कि जनता के लिए वह 24 घंटे खड़े हैं और उपचुनाव में उन्होंने मंगलौर की जनता से बेटे के रूप में आशीर्वाद मांगा था,जो कुछ सौ वोट की कमी के कारण उन्हें पूरे तौर पर नहीं मिल पाया,वहीं उनके राजनीतिक विरोधी उनका खतौली के लापता विधायक वाला पोस्टर के मामले का उदाहरण देते हुए उन पर जो निशाने साधते थे। उसका जवाब भी वह दे देना चाहते हैं। उनके समर्थकों के शब्दों में आज उनके संयोजन में हो रही रैली के जरिए उनके जनजुड़ाव का प्रमाण सामने आ जाएगा। लेकिन यहां खबर का विषय रैली की सफलता या विफलता है ही नहीं। ईमानदारी से कहें तो इस तरह की रैली से जन जुड़ाव की सफलता का पैमाना रैली से जुड़े लोगों के सत्तासीन न होने की सूरत में खरा उतरता है।
दरअसल यहां विषय करतार सिंह भड़ाना के खुद अपने सजातीय गुर्जर समाज में जुड़ाव का है। रैली की बात करें तो कुछ घंटों बाद रैली होगी,मुख्यमंत्री आएंगे और तमाम पद पोषित भाजपा नेता मंच पर होने के साथ ही अपने-अपने स्तर से भीड़ जुटाकर रैली को सफल बनाने में कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। मुख्यमंत्री के खास कहे जाने वाले स्वामी यतीश्वरानंद दो दिन से इसी बाबत क्षेत्र में डेरा डाले हैं। खुद मुख्यमंत्री का क्रेज भी कुछ कम नहीं है। पर इस सबके बाद भी रैली संख्या के लिहाज से 20 हजार के उस घोषित आंकड़े तक न पहुंचे जो कल रुड़की में प्रेस वार्ता के दौरान स्वामी यतीश्वरानंद ने घोषित किया है तो रैली के बाद करतार सिंह भड़ाना समेत तमाम भाजपा नेताओं को गहन मंथन जरूर करना होगा। खैर यह सब कुछ घंटों बाद की बातें हैं और संभव यही है कि शायद ऐसे किसी मंथन की जरूरत न पड़े। यथा फिर वहीं लौटते हैं असली मंथन पर। विषय वही करतार सिंह भड़ाना के खुद अपने सजातीय गुर्जर समाज से जुड़ाव का। यूं करतार सिंह भड़ाना की सक्रियता पिछले काफी समय से मंगलौर सीट के सर्व समाज के बीच निरंतर बनी है,लेकिन इस सीट पर मौजूद अपने सजातीय गुर्जर समाज के बीच उनकी सक्रियता का ही परिणाम है कि दलीय निष्ठाओं से बंधे लोग भी अंदरखाने उनके समर्थन में दिखते हैं। ऐसे कई नेताओं ने नाम न खोलने की शर्त पर पत्रकार संदीप तोमर से करतार सिंह भड़ाना के हर स्तर पर समर्थन की बात कही है। यूं इधर चौधरी कुलबीर सिंह और चौधरी मानवेंद्र सिंह उनका पूर्व की भांति समर्थन करेंगे तो परम्परा अनुसार उनके विरोधी उनके भाई(कुलबीर सिंह के)चौधरी जसबीर सिंह व चौधरी गौरव सिंह पूर्व की भांति
करतार सिंह भड़ाना का विरोध ही करेंगे,वैसे भी संभालका (हरियाणा)की कुछ ही पुरानी हार का असर उन पर यहां तक बताया जाता है। खैर इसके इतर छुट पुट विरोध को छोड़ दें तो गुर्जर समाज के आम लोग करतार सिंह भड़ाना के साथ ही खड़े नजर आते हैं। यहां तक कि भाजपा व केंद्र सरकार के विरोध की कड़ी राजनीति करने वाले एक किसान संगठन के कुछ नेताओं ने नाम न खोलने की शर्त पर पत्रकार संदीप तोमर से ये भी कहा कि किसान संगठन की राजनीति अपनी जगह पर वह निजी तौर पर बिरादरी के नाते करतार सिंह भड़ाना को विधायक देखना चाहते हैं। भाजपा से जुड़े गुर्जर बिरादरी के नेताओं की बात करें तो यह अभी तक करतार सिंह भड़ाना के साथ ही खड़े दिखते हैं,लेकिन डेढ़ वर्ष बाद चुनाव के समय इनकी क्या स्थिति होगी?कहा नहीं जा सकता! वैसे करतार सिंह भड़ाना को नहीं भूलना चाहिए कि उपचुनाव में उनकी हार के यदि दस बड़े कारण गिने जायें तो उनमें एक बड़ा कारण उनके सजातीय कुछ गुर्जर भाजपा नेता ही थे। बहरहाल,अभी तक आम गुर्जर बिरादरी में करतार सिंह भड़ाना के नाम की आवाज को जहां सुना जा सकता है,वहीं इस सीट की अति अहम जाट बिरादरी के लिहाज से करतार सिंह भड़ाना के जुड़ाव की समीक्षा फिर कभी। फिलहाल के लिए इतना ही कि जाट बिरादरी से आने वाली नवनियुक्त भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ.मधु सिंह व दर्जधारी अजीत सिंह के खुद के समाज में असर का काउंट डाउन आज की रैली से शुरू हो जाएगा। साथ ही करतार सिंह भड़ाना को पार्टी प्रत्याशी बनाए जाने की प्रबल संभावनाओं के दृष्टिगत कुछ स्थानीय भाजपा नेता जो सोशल मीडिया पर बाहरी का शोर मचा रहे हैं,उसका असर रैली पंडाल में भी देखेगा या नहीं? और कुछ असर दिखा भी तो वो कहां तक जाएगा? यह भी देखने वाली बात होगी।



